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चित्र -साभार गूगल एक गीत -स्वर्णमृग की लालसा स्वर्ण मृग की लालसा मत पालना हे राम !दोष मढ़ना अब नहीं यह जानकी के नाम |आज भी मारीच ,रावण घूमते वन -वन ,पंचवटियों में लगाये माथ पर चन्दन ,सभ्यता को नष्ट करना रहा...

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--दर्द का सिलसिला दिया तुमनेआज रब को भुला दिया तुमने--हमने करना वफा नहीं छोड़ानफरतों का सिला दिया तुमने--खिलती चम्पा को नोंचकर फेंकाफिर नया गुल खिला दिया तुमने--हमको आब-ए-हयात के बदलेफिर हलाहल पिला दिया तुमने--मौत माँगी थी हमने मौला सेफिर से मुर्दा जिला दिया तुमने-...